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1969

02.02.1969

"...कमाई किसमें है?

तो बाप बच्चों की कमाई को देखते हैं और कमाई के लायक बनाते हैं...यह कमाई भी है और अनुभव भी।

 


"...अपनी कमाई से खुद भी सन्तुष्ट नहीं रहेंगे तो औरों को क्या कहेंगे।

एक एक को इतना जमा करना है।

क्या सिर्फ अपने लिए ही जमा करना है या औरों के लिए भी करना है।

औरों को दान करने के लिये जमा नहीं करना है?..."

 


23.07.1969

"...ऐसा समय आने वाला है जो कि आप अपनी कमाई नहीं कर सकोगे परन्तु दूसरों के लिये बहुत बिजी हो जाओगे।

अभी अपनी कमाई का बहुत थोड़ा समय है। फिर दूसरों की सर्विस करने में अपनी कमाई होगी।

अभी यह जो थोड़ा समय मिला है उसका पूरा-पूरा लाभ उठाओ।

नहीं तो फिर यह समय ही याद आयेगा इसलिए ही जैसे भी हो जहाँ पर भी हो, परिस्थितियां नहीं बदलेंगी।

यह नहीं सोचना कि मुसीबतें हल्की होंगी फिर कमाई करेंगे, यह तो दिन प्रति दिन और विशाल रूप धारण करेंगी परन्तु इनमें रहते हुए भी अपनी स्थिति की परिपक्वता चाहिए। ..."

 


23.01.1970
"...ऐसे ही समझो कि सर्विस के लिए यह स्थूल सर्विस कर रहे हैं। तो फिर मन भी उसमें लगेगा और कमाई भी होगी। लौकिक को भी अलौकिक समझ करो।..."


 

"...एक सेकंड भी इन अमूल्य दिनों को ऐसे नहीं गँवाना। एक-एक सेकंड में पद्मों की कमाई कर सकते हो। पदम सौभाग्यशाली तो हो।..."


 

"...एक-एक सेकंड सफल करने के यह दिन है। अभी का एक सेकंड बहुत फायदे और बहुत नुकसान का भी है। एक सेकंड में जैसे कई वर्षों की कमाई गँवा भी देते हैं ना। तो यहाँ का एक सेकंड इतना बड़ा है।..."

 


 

25.01.1970
"...सारे कल्प की तकदीर इस घडी बनानी है। ऐसे ध्यान देकर चलना है। सारे कल्प की तकदीर बनने का समय अब है। इस समय को अमूल्य समझ कर प्रयोग करो तब सम्पूर्ण बनेंगे। एक सेकंड में पद्मों की कमाई करनी है। एक सेकंड गँवाया गोया पद्मों की कमाई गंवायी, अटेंशन इतना रखेंगे तो विजयी बनेंगे। एक सेकंड भी व्यर्थ नहीं गँवाना है। संगम का एक सेकंड भी बहुत बड़ा है। एक सेकंड में ही क्या से क्या बन सकते हो। इतना हिसाब रखना है। ..."


 

26.01.1970
"...संकल्प और समय दोनों ही संगम युग के विशेष खजाने हैं। जिससे बहुत कमाई कर सकते हो। जैसे स्थूल धन को सोच समझकर प्रयोग करते हैं कि एक पैसा भी व्यर्थ न जायें। वैसे ही यह संगम का समय और संकल्प व्यर्थ न जाएँ। ..."


 

"...यह संगम समय का एक सेकंड भी कितना बड़ा मूल्यवान है। एक सेकंड भी व्यर्थ गया तो कितनी कमाई व्यर्थ हो जाएगी। पुरे कल्प की तकदीर बनाने का यह थोडा समय है। एक सेकंड पद्मों की कमाई करने वाला भी है और एक सेकंड में पद्मों की कमाई गँवाता है। ऐसे समय को परख करके फिर पाँव तेज़ करो। ..."


 

23.10.1970
"...दूसरे के कमाई का आधार नहीं लेना है। न दूसरे की कमाई में आँख जानी चाहिए। जिस कारण ही ईर्ष्या होती है।..."



 

29.10.1970
"...दीपमाला पर किन बातों का ध्यान रखते हैं? (सफाई रखते हैं, नया चोपड़ा बनाते हैं) परन्तु लक्ष्य क्या रखते हैं? कमाई का। उस लक्ष्य को लेकर सफाई भी करते हैं। तो सफाई भी सभी प्रकार से करना है और कमाई का लक्ष्य भी बुद्धि में रखना है। यह सफाई और कमाई का दोनों कार्य आप सभी ने किया है? अपने आप से संतुष्ट हो? जब कमाई है तो सफाई तो ज़रूर होगी ना। इन दोनों बातों में संतुष्टता होना आवश्यक है। ..."


 

31.12.1970
"...भगवान के वर्शन्स हमारी पढ़ाई है। श्री-श्री की श्रीमत हमारी पढ़ाई है। जिस पढ़ाई का हर बोल पद्मों की कमाई जमा कराने वाला है। अगर एक बोल भी धारण नहीं किया तो बोल मिस नहीं किया लेकिन पद्मों की कमाई अनेक जन्मों की श्रेष्ठ प्रालब्ध वा श्रेष्ठ पद की प्राप्ति में कमी की। ऐसा परिवर्तन संकल्प ‘भगवान् बोल रहे हैं’, हम सुन रहे हैं। मेरे लिये बाप टीचर बनकर आये हैं। मैं स्पेशल लाडला स्टूडेन्ट हूँ – इसलिए मेरे लिए आये हैं। कहाँ से आये हैं, कौन आये हैं, और क्या पढ़ा रहे हैं? यही परिवर्तन श्रेष्ठ संकल्प रोज़ क्लास के समय धारण कर पढ़ाई करो। ..."


 

"...जो कर रहा हूँ वह ईश्वरीय सेवा अर्थ कर रहा हूँ। व्यवहारी और परमार्थी कम्बाइन्ड हूँ। यही परिवर्तन संकल्प सदा स्मृति में रहे तो मन और तन डबल कमाई करते रहेंगे। स्थूल धन भी आता रहेगा। और मन से अविनाशी धन भी जमा होता रहेगा। एक ही तन द्वारा एक ही समय मन और धन की डबल कमाई होती रहेगी। तो सदा यह याद रहे कि डबल कमाई करने वाला हूँ।..."

 


 

 

 

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